The Shodashi Diaries

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The murti, which is also viewed by devotees as ‘Maa Kali’ presides about the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Below, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

Lots of excellent beings have worshipped elements of Shodashi. The nice sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali in the course of his full everyday living, and at its end result, he compensated homage to Shodashi as a result of his personal spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in viewing the divine in all beings, and especially his life partner.

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

The underground cavern has a dome large previously mentioned, and barely seen. Voices echo wonderfully off the ancient stone from the walls. Devi sits in the pool of holy spring water which has a Cover excessive. A pujari guides devotees as a result of the whole process of paying out homage and getting darshan at this most sacred of tantric peethams.

॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥

यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।

हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

सावित्री तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा

Known as the goddess of wisdom, Shodashi guides her devotees toward clarity, Perception, and higher understanding. Chanting her mantra boosts instinct, encouraging people make sensible conclusions and align with their internal reality. This benefit nurtures a lifetime of integrity and intent.

The worship of Tripura Sundari is a journey in the direction of self-realization, wherever her divine beauty serves as a beacon, guiding devotees to the final word truth of the matter.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती Shodashi हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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